यह ऑडियो क्लिप पूर्ण रूप से उनके लिए है जिन्होंने अबतक धर्म की व्याख्या को वास्तविक रूप से जाना ही नही है... श्रीकृष्ण का वचन है- " तद् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।"सत्य को जानो, सत्ज्ञानियों को प्रणाम, परिप्रश्न और उनकी सेवा के द्वारा। सत्य को जानकर ही तुम वास्तविक प्रेमपूर्ण जीवन जी सकोगे।अंधे या अज्ञानी का प्रेम कभी वास्तविक नहीं हो सकता।प्रश्न पूछे बिना सही उत्तर पाए बिना किसी को सत्य का ज्ञान नहीं होता। सत्य को ठीक से जाने बिना, सत्य को माना नहीं जा सकता। सत्य को ठीक से माने बिना सत्य को ठीक से जिया नहीं जा सकता। सत्य को ठीक से जिये बिना सत्य हुआ नहीं जा सकता..!सत्य को ठीक से जानकर और मानकर या सत्य होकर जो जीवित रहता है वास्तव में केवल वही प्रेमपूर्ण रह सकता है अन्य कोई भी नहीं।अन्य कोई भी मनुष्य प्रेम का पाखण्ड तो कर सकता है लेकिन प्रेमपूर्ण हो नहीं सकता।
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