तुम सुर बनकर आए,तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत तराना बन गया। तुम राग बनकर आए,तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत साज़ बन गया। तुम गीत हो, मैं तुम्हारे शब्द हूँकुछ एसा ही प्यारा रिश्ता है हमारा। हमारे रिश्ते से जीवन का नया अर्थ मिला,जीवन की धुन को नया संगीत मिला।
तुम सुर बनकर आए,तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत तराना बन गया। तुम राग बनकर आए,तो मेरे जीवन का ख़ूबसूरत साज़ बन गया। तुम गीत हो, मैं तुम्हारे शब्द हूँकुछ एसा ही प्यारा रिश्ता है हमारा। हमारे रिश्ते से जीवन का नया अर्थ मिला,जीवन की धुन को नया संगीत मिला।T
यह रिश्ता ही कुछ ऐसा है,जिसमें लेने से ज़्यादा,देने में मज़ा मिलता है।यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है। जिसमें प्यार की कली खिली हो,जिसमें प्यार की महक उठी हो।बस प्यार ही प्यार बेशुमार हो,यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है। जैसे बाती बिना दीया अधूरा,वैसे
यह रिश्ता ही कुछ ऐसा है,जिसमें लेने से ज़्यादा,देने में मज़ा मिलता है।यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है। जिसमें प्यार की कली खिली हो,जिसमें प्यार की महक उठी हो।बस प्यार ही प्यार बेशुमार हो,यह एक रिश्ता पति-पत्नी का है। जैसे बाती बिना दीया अधूरा,वैसे
एक परिंदा हूँ,जीवन गगन में, आज़ाद हूँ। पहले पिंजरे में केद थी,अपनी खुशियों के लिए,दूसरों पर आश्रित थी। पहले पिंजरे में केद थी,अपने जीवन के विकास के लिए,दूसरों पर आश्रित थी। अब खुद पर एतबार है,खुद के दम पर, मेहनत करके,जीवन को उमंग से जीना है। एक
चलते रहिए, चलते रहिएसारी उलझनों के साथ,चलते रहिए। करते रहिए, करते रहिएअपने कार्य (कर्तव्य) करते रहिए।चलते रहिए। उलझनें तो जीवन का हिस्सा है,उलझनों के साथ चलना,सीखते रहिए। उलझनें तो जीवन में अवसर है,हमारी प्रगति का अवसर,चलते रहिए। रुकिए मत, रुकि
आत्म-नियंत्रण का एक दीया,अपने अंतर में, जलाकर रखिए,ताकि कभी भी दुनिया के प्रलोभन,हमारे अंतर्मन में, अंधेरा न कर पाए। धैर्य का एक दीया,अपने अंतर में, जलाकर रखिए,ताकि सपनों को पाने की इच्छाएं,ज़ल्दबाज़ी में परिवर्तित न हो जाए। मन पर नियंत्रण का ए
तुने राह चुन ही ली है,तो राह पर चलने में,संदेह क्यों करता है? मन में विश्वास जगा दे,मन से डगमगाना क्यों? राह ढूंढने में मेहनत की है,तो राह पर चलने की मेहनत से,घबराहट क्यों महसूस करता है? मन में विश्वास जगा दे,मन से डगमगाना क्यों? मन को बुलंदकर,
मेरी अनगिनत शरारतें,तेरे लिए ही हैं।मेरी हर नटखट अदाएं,तेरे लिए ही हैं।प्यार का एक रंग भी,शरारत का रंग है।चलो, इस रंग में खो जाए,अपना ज़हान रंगीन बनाए।
मैं खोया सा ख्वाब बन चुकी थी,तुने ही तो ढूंढा मूझे।उलझ गई थी, दुनिया के बेकार बंधनो में,तूने ही सुलझाया मूझे।दुनिया ने तो गिनवाई गलतीया मेरी हमेशा,तूने ही बस गिनवाई अच्छाईया मेरी हमेशा।विश्वास उठ चुका था मेरा “प्यार” शब्द पे से,
हैरानी से पूछा करते हैं कुछ लोग मुझे,तुम हमेशा मुस्कान लिए ही फिरते रहते हो,उदास नहीं होते क्या कभी?तो मैंने मुस्कुराते हुए ही बोला। हूजूर उदास तो हम भी होते है।ज़माने ने हमें भी रुलाया है।पर हमने रोता हुआ दिलऔर होठो पर मुस्कान,ये दोनों एक साथ
दिल,मेरा नया आशियाना!जिसमें मैं रहने लगी हूँ। पहले दिल से बहुत दूर थी,जब अपने ही जज़्बात में उलझ गई थी।अब जाकर दिल सुलझा पाया सब उलझन। दिल से जुड़ने से, खुद से जुड़ी मैं।दिल अब कुछ हांसिल करना नहीं चाहता।दिल तो बस जीना चाहता है,मेरे अपनों के सा
शिव मेरे शिव,आप को सत् सत् वंदन।आप ही भोलेनाथ और आप ही महादेव,आप ही महाकाल और आप ही आदिदेव। रूप अनेक है मेरे शिव के,सौम्य रूप भी आपका,रौद्र रूप भी आपका,नटराज रूप भी आपका। तीन हैं नेत्र शिव के,भस्म है तन पे शिव के,वस्त्र है बाघ खाल का तन पे शिव
सीख लिया सुरज की तरह रौशनी फैलाना,सीख लिया बादलों के साथ चलना,सीख लिया सागर की लेहरों के साथ खेलना,सीख लिया फूलों की तरह सुगंध फैलाना।हा! हूँ मैं तैयार ज़िंदगी जीने के लिए।सीख लिया पेड़ों की तरह छाव देना,सीख लिया भंव