फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....
इंसान ने बांटे तो कहीं धर्मो के रंग है....ना बटां उन फरिश्तों का फ़र्ज़...फिके पड़े उन कर्ज़ों के आगे कई रंग है....
फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....
"मज़हबी" सरहदे बनाई हमने करी इंसानियत हर तर्ज पर भंग है....ना किया फर्क उन्होंने तब भी लड़ी सरहदों पर "फ़र्ज़ की जंग" है ....
फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....
मातृभूमि का कर्ज समझे वो "किए भंग कई अंग"है....दिया नया जीवन तुमको....पाया "दर्जा रब संग है"....
फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है...कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....
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