वो सोचता था भला हुआ जो एक नई सोच की विजय नहीं हुई वरना इन क्रांतिकारियों ने तो दुनिया को डुबो ही डाला था. उस देश ने बम गिराए वो उसके साथ था. वो मानता था कि इस धरती पर जीने का अधिकार बीएस उसे ही है जो सबल है. वो मानता था कि क्रांतियां तो सिर्फ़ कमज़ोर ही करते हैं ताकतवर तो सत्ता में रहते हैं. वो उस विजयी देश को सभी देशों का बाप कहता था. लेकिन उस विजयी देश ने इतने ज़्यादा बम गिराए कि पूरे विश्व से पैसे ग़ायब हो गए. ऐसा लगा जैसे उसने बम गिराने के लिए सारे विश्व के पैसों को बिना बताए चुपके से निवेश कर दिया. मंदी चा गई. आखिर वो कौन सी तरकीब थी जिससे दुनियाभर के गल्ले चुपके से ख़ाली हो गए. सारी कम्पनियों ने ज़ार ज़ार आंसू बहाए और फिर शुरू हुआ छंटनी का दौर...
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