इस प्रवचन में हनुमान चालीसा की दो चौपायिओं पर चर्चा करी गयी। इन दोनों में भगवान् श्री राम अनेकानेक ज्ञानी लोगों का नाम लेते हुए कहते हैं की जब ये सब भी हनुमानजी की महिमा का बखान नहीं कर सकते है तो इस जगत के कवि और विद्वान लोग कहाँ हनुमानजी की पूरी महिमा बखान करने का अभिमान कर सकते हैं। जिन-जिन का नाम लिया गया उनके बारे में थोड़ा बहुत पूज्य स्वामीजी ने बताया। यद्यपि कोई भी हनुमानजी की महिमा का पूर्ण रूप से बखान नहीं कर सकता है, फिर भी उनकी महिमा की चर्चा अवश्य करनी चाहिए, और अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए यह भी कह देना चाहिए की हे प्रभु हम केवल अपने मन को निर्मल करने के लिए अपनी बालवत प्रयास कर रहे हैं।
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