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Aakhir Kab Humare Sapno ki potli.. Apno ki jimedaari ki bhaari potli taale dab jaati hai aur un sapno ko dam Kab ghut jaata hai pata nahi chalta….Aakhir kab hum usi jimedaari ko nibhane ke liye…apno se hi door par apne andar chota sa ghar liy
माना लफ़्ज़ों के सहारे किसी रिश्ते की पहचान नहीं होती....पर सिर्फ लफ़्ज़ों के लारे भी ज़िंदगी कुर्बान नहीं होती....
फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....इंसान ने बांटे तो कहीं धर्मो के रंग है....ना बटां‍ उन फरिश्तों का फ़र्ज़...फिके पड़े उन कर्ज़ों के आगे कई रंग है....फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....कभी खाकी
कभी गमो के पहाड़ तो कभी प्यार के समन्दर गहरे देखे है ...कभी सबका साथ तो कभी अकेलेपन की रात निहारें देखे है.हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है......कभी अभिमान का साथ लिए तो चांद की तरह खुद पर भी दाग कई हज़ार देखे है.....कभी आत्मसम्मा
🇮🇳मुबारक हो आज़ादी🇮🇳हिन्द से सिंध तक तिरंगे की शान है आज़ादीराम की दीवाली है और अल्लाह की रमज़ान है आज़ादी..गुरुपर्व का प्रकाश है और क्रिसमस के संग आयी सौगात है आज़ादी...मुबारक हो आज़ादी ...6 मौलिक अधिकारों में बटी और अंधे कानून में
" किस्मत की उलझनों में सिमटी" .. इस रिश्ते की ये भी कैसी ज़िन्दगी है ...दो दिलों के इस रिश्ते में चाहकर भी दो दिल एक साथ नहीं... ये भी भला कैसी बंदगी है ...लम्हे अच्छे थे या बुरे .. इन सबसे रिश्तों को कोई मात नहीं...तुझे पा भी लूं आज तो ..त
काफी दफा मंज़िल तक पहुंचना मुश्किल... पर तुम्हारा खुद मंज़िल बन जाना जुनून बन जाने सा लगता है....काफी दफा अपने जज़्बातों को समझाना मुश्किल...परतुम्हारा खुद सब समझ जाना रुनझुन सुनने सा लगता है....काफी दफा "काफी है ये सब" कहना मुश्किल...पर
रास्ते फिर बन जाएंगे....आज जो खोया है वो कल फिर पा जाएंगे,पर वो पल तुम्हारे "कल होने" का "इंतज़ार" कर रहा है....ज़िन्दगी को गले लगाओ....कोई अपना नहीं तो "कोई गैर" ही सही, तुम्हारे "दिल का हाल" सुनने का "इंतज़ार" कर रहा है....अगर एक बंद दरवाज
तेरे साये में ही रहना मुझको भाना है"मां"...कैसे बताऊं इन लबों ने "पहला अक्षर" भी ... तेरे नाम का ही कहना है....तेरे हाथ को थामे मुझे इस दुनिया में आना है "मां"...कैसे बताऊं इन हाथो से बने खाने का भी...अपना अलग अफसाना है....मेरे हर दर्द का मुझ
चांद और तारों के रिश्ते का पैमाना बहुत पुराना है..तहाम रोज़ आयी नई चांदनी और तारों की छाओं का भी अपना अलग अफसाना है..अ़फसानो का बन जाना और तेरा मेरा मिल जाना है ....जैसे अमवस्या की रैना को दीवाली सा जगमगाना है...जगमगाते रिश्तों की रोशनी
जितना दिखाता नहीं उसे ज्यादा फिक्र करता हूं तेरी।जितना बतलाता नहीं उसे ज्यादा बातों में जिक्र करता हूं तेरी।कैसे दिख लाओ "हाल ए दिल",किस हद तक चाहता हूं पाकर तुम्हे...बस यूं ही नहीं थोड़ा थोड़ा रोज़ मर जाता हूं देखकर तुम्हे....
**Part 1 - रुक जाऊं अगर तेरे कहने पर तो समझ जाना कि बिसरा अभी भी कुछ बाकी है ...थम जाऊं अगर तेरे थामने पर तो समझ जाना कि साथ अभी भी कुछ बाकी है....ना बेहके दिल अगर बेहकाने पर भी तो समझ जाना कि शायद मेरे लौट आने की आस अभी भी कुछ बाकी है ... ❣️
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