Masala Chai

Audioboom Audioboom

Masala Chai

Good podcast? Give it some love!
Masala Chai

Audioboom Audioboom

Masala Chai

Episodes
Masala Chai

Audioboom Audioboom

Masala Chai

Good podcast? Give it some love!
Rate Podcast

Episodes of Masala Chai

Mark All
Search Episodes...
सुनिए परसाई के रचना संग्रह निठल्ले की डायरी का एक अंश
प्रधानसेवक के झकाझक भाषणों से देश की सारी समस्याएं हल हो जाने वाली हैं और कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं है लोग मस्त रहें पकोड़े छानें
आप चाहें तो प्रेम कर लीजिये, आप चाहें तो लव कर लीजिये प्रेम न भाषा देखता है न देशी-विदेशी देखता है, प्रेम सरहदें नहीं देखता, प्रेम धर्म नहीं देखता, प्रेम में सियासत घुसेड़ने वालों हम तप प्रेम करते रहेंगे तुम्हारी ऐसी की तैसी.
इब्ने इंशा की किताब 'उर्दू की आख़िरी किताब' के कुछ अंश
 हरियाणा के सुप्रसिद्ध हास्य रचनाकार अरुण जैमिनी की मारक रचना सुनिये
कई बार कुछ बातों का मतलब सिर्फ़ उतना ही नहीं होता जितना कि फ़ौरी तौर पर दिख रहा होता है कई बार कुछ बातों के मानी बहुत विशाल होते हैं यही खासियत है जावेद साहब की कलम में.
सियासत के खेल से पर्दा उठती जावेद साहब की ये रचना सुनिए.
सुनिए जावेद अख्तर साहब की बेहतरीन रचनाएं
तुमने बहुत सहा है / तुमने जाना है किस तरह स्त्री का कलेजा पत्थर हो जाता है / किस तरह स्त्री पत्थर हो जाती है / महल अटारी में सजाने लायक / मैं एक हाड़ मांस की स्त्री नहीं हो पाउंगी पत्थर / न ही माल असबाब / तुम डोली सजा देना / उसमें काठ की एक पुतल
साल 2017 ख़त्म हो रहा है लोग आंकलन करेंगे कि क्या पाया क्या खोया लेकिन इस आंकलन में हम अक्सर अच्छा अच्छा याद करते रह जाते हैं जो बुरा और ग़लत हुआ उससे सबक लेना भूल जाते हैं.
जाते साल को विदा है और आते साल का स्वागत है
हिन्दू मुस्लिम के नाम पर लड़ना बन्द करो भाई...कहानी सुनो
सआदत हसन मंटो की कहानियों का एक ये भी रूप है
आज सुनिए मिथुन के लेख.
सुनिए हरिशंकर परसाई का व्यंग्य 'कन्धे श्रवण कुमार के'
अभी अभी चुनाव ख़त्म हुए हैं पता नहीं क्यूँ परसाई जी का ये व्यंग्य याद गया. हालांकि ये दुखद स्थिति है कि चुनाव सुन के दलाली शब्द याद आ जाए पर, ठीक है अब, क्या कर सकते हैं.
अभी अभी चुनाव ख़त्म हुए हैं पता नहीं क्यूँ परसाई जी का ये व्यंग्य याद गया. हालांकि ये दुखद स्थिति है कि चुनाव सुन के दलाली शब्द याद आ जाए पर, ठीक है अब, क्या कर सकते हैं.
माँ का कोई रिप्लेसमेंट हो सकता है क्या...माँ की यादों से बिलग होने के लिए कोई औए याद ज़हन में जोड़ी जा सकती है क्या...कोई उपाय हो तो बताओ यार...आज कल माँ बहुत याद आती है.
"मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार जुलाहे / अक्सर तुझको देखा है कि ताना बुनते / जब कोई तागा टूट गया या ख़तम हुआ/ फिर से बाँध के और सिरा कोई जोड़ के उसमें/ आगे बुनने लगते हो तेरे इस ताने में लेकिन / इक भी गाँठ गिरह बुनतर की / देख नहीं सकता है कोई / म
"सूखे मौसम में बारिशों को याद कर के रोतीं हैं / उम्र भर हथेलियों में तितलियां संजोतीं हैं / और जब एक दिन बूंदें सचमुच बरस जातीं हैं / हवाएँ सचमुच गुनगुनाती हैं / फ़जा़एं सचमुच खिलखिलातीं हैं / तो ये सूखे कपड़ों ,अचार ,पापड़ बच्चों और सब दुनिया
अंज सुनिए धार्मिक कुरीतियों पर कटाक्ष करती विद्रोही की कविता "धर्म" धर्म की आज्ञा है कि लोग दबा रखें नाक / और महसूस करें कि भगवान गंदे में भी गमकता है / जिसने भी किया है संदेह लग जाता है उसके पीछे जयंत वाला बाण / और एक समझौते के तहत हर अदालत
"कुछ औरतों ने अपनी इच्छा से कूदकर जान दी थी/ ऐसा पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है/ और कुछ औरतें अपनी इच्छा से चिता में जलकर मरी थीं/ ऐसा धर्म की किताबों में लिखा हुआ है/ मैं कवि हूँ, कर्त्ता हूँ क्या जल्दी है/ मैं एक दिन पुलिस और पुरोहित दोनों को
फूलो पांच बरस की थी तो क्या हुआ, उसे मालूम था कि पति के सामने लज्जा करनी चाहिए. परम्पराओं और मर्यादाओं को लादने थोपने के चक्कर में अक्सर हम क्या से क्या कर जाते हैं.
वो सोचता था भला हुआ जो एक नई सोच की विजय नहीं हुई वरना इन क्रांतिकारियों ने तो दुनिया को डुबो ही डाला था. उस देश ने बम गिराए वो उसके साथ था. वो मानता था कि इस धरती पर जीने का अधिकार बीएस उसे ही है जो सबल है. वो मानता था कि क्रांतियां तो सिर्फ़ क
Rate
Contact This Podcast

Join Podchaser to...

  • Rate podcasts and episodes
  • Follow podcasts and creators
  • Create podcast and episode lists
  • & much more

Unlock more with Podchaser Pro

  • Audience Insights
  • Contact Information
  • Demographics
  • Charts
  • Sponsor History
  • and More!
Pro Features